@iits_utkarshh
Utkarsh Ahuja
@iits_utkarshh · 2:54

माता की व्याख्या

article image placeholderUploaded by @iits_utkarshh
वही। है दैरोक्षमातातीवही रक्षी वही। सर्व। सुर, विनाशी। रूपा। वही रुपी। वही। तो। है मेरी आज कुमारी, हाँ, मेरी जग। सावाल। ऊँचे त्रिकुट, पर्वत। पर। रहती वह। गिरी। शिखरों की वासिनी। वही। नंदी। शेष, पर, विराजे। वही। अष्ट, भुजा। प्वार। वही। है कांटों की। वही। भक्ति। पुष्पकी माली? वही। तो। है मेरी यश्णवीमाहाँ मेरी जो काबाली संग।

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@voicequeen
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:26
1 रूप है। काली। तेरा ही। 1 रूप है। काली। अब शाम में रूप, घरों में। माता। अब स्वामी ने माता और जल की कस्ट दूर करे। जय। जय। माता। जय। दुर्गा। जो रचना है। न रात की। अच्छी रही। इसी तरह से नई नई सहलाते रहेगा की।
@kavyakaar
Meenu Babbar
@kavyakaar · 0:50
बहुत सुन्दर कविता है कि माता ने कितने रूप धारण किए? माता ने किस किस दैत्य का नाश किया? बहुत अच्छे तरीके से। आपने। अपनी कविता के माध्यम से हम सबको इसका वर्णन किया है। बहुत सुन्दर रचना है आपकी। और धन्यवाद। हम सबके साथ। अपनी इतनी सुन्दर रचना को शेयर करने के लिए। और ऐसे ही लिखते रहियेगा। आपको। बहुत बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद।
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