आप सभी को। मेरा आदाब। उम्मीद करती हूँ। आप सब अच्छे से होंगे। मैं। हाजिर हूँ। अपनी। 1 और कविता के साथ। जिसका शीर्षक है। जो गरजते हैं वो बरसते? नहीं। जो गरजते हैं वो बरसते हैं? नहीं। सिर्फ। बोल देने से। लोग आगे बढ़ते? नहीं। चलना। पड़ता है।
हाई? हुमा। मैं कांक्षा अग्रवाल। मुझे। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। शॉर्टन स्वीट। एंड। आपकी। इस कविता को सुनकर कोट याद आता है। मुझे तो मैं वो शेयर करना चाहती हूँ। न? साइलेंस एंड लेट योर सक्सेस मेक द नाइस। so its very nice booty, that you have recited। thank you, so much and check out my profile। as well, like someone give some reply? thank you।
ह**ो हुमा जी आपने बिल्कुल सही कहा है की हमें गुस्से से नहीं बल्कि सबर से काम लेना चाहिए। हमें होश से काम लेना चाहिए। समझ के काम लेना चाहिए तभी हम बोले तो कामयाब हो पाएंगे तभी हमें सफलता मिलेगी। हम गुस्से में बहुत कुछ बोल जाते हैं। गुस्से में हमें होश ही नहीं रहता है बाद में हम रिग्रेट करते हैं पर उसका कोई फायदा नहीं होता है। वो बात उनके दिल पर जा के लग जाती है। तो जिंदगी में जरूरी बहुत है कि हम सब नर्मी से काम ले अकलमंदी से काम लें।