आप सभी को होमांसारीका। आदाब। आज। मैं आप सब के सामने 1 छोटी सी कविता लाई हूं। जिसका शीषक है? बहता है। मन। कहीं? बहता है? मन? कहीं? जिसकी? कोई मंजिल नहीं? मिल? नहीं सकता। जो कभी चाहता है। अक्सर। ये वही अनजानों से घिरा रहता है? पराया? रहता है। अपनों से ही। चाहता है? जाने क्या? खुद ही? समझ? पाता? नहीं?
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 0:29
गुड? ईवनिंग हुमा? बेहद? खूबसूरत? शायरी? बहता है? मन? कहीं? सही? कहा? आपने? जो हासिल नहीं हो सकता है। मन उसी के पीछे भागता रहता है। बेहद? खूबसूरत? लाइनें। उतने ही। खूबसूरत तरीके से। आपने। बताया। ऐसे ही लिखते रहिये। आपका। बहुत बहुत शुक्रिया।