@HumaAnsariwrite
Huma Ansari
@HumaAnsariwrite · 1:57

Khamoshiyon ko mil gyi zuban

article image placeholderUploaded by @HumaAnsariwrite
दूर दूर तक पहुंचेगी। अंदाजा न था। मन ही। मन। न जाने कितने ख्वाब बुनती थी। पर कह? पाने? का बूता? न था? बार बार। अन्दर ही। अन्दर। न जाने कितने खाप को। उसने टूटते देखा। फिर भी? जज्बा। उसका कम हुआ। कुछ न कुछ। तो कर। गुजरना। है? मन में। यही चलता रहता। खूब? दिमाग। खपाया। अपने शौक में। दिल लगाया। अपने खामोशियों को। उसने लब्जों से कागज। पर उतारा। सब कुछ बुलाया।

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@krishndiwaniRG
Rashmi Gautam
@krishndiwaniRG · 1:17

@HumaAnsariwrite

तो आपने बहुत अच्छे से इस कविता में दर्शाया है कि 1 सक्सेस पाने वाला इंसान खामोशी के साथ मेहनत करता है और फिर जब वो अपने मुकाम को अचानक 1 दिन हासिल कर लेता है तो उसकी कामयाबी शोर मचा देती है और जब कामयाबी शोर मचाती है तो सबके मुंह पर जो उसके कहने वाले थे कि आप नहीं कर सकते हो उनके मुंह पर। तमाचा सा लगता है। और आपकी इस कविता में। यह बहुत ही अच्छी तरीके से दर्शाया गया है। बहुत ही सुन्दर कविता है। आप। थैंक यू मैं मैं से लिखते रहे।
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