नज्म? नज्म। उलझी हुई है। सीने में मिसरे अटके हुए हैं। होठों पर। लब्स कागज पर? बैठते ही नहीं। उड़ते। फिरते हैं। तितलियों की तरह। कब से बैठा हुआ हूं? मैं। जान। सदा कागज? पे। लिख के। तेरा नाम। बस? तेरा नाम ही मुकम्मल है। इससे बेहतर भी नज्म क्या होगी?
Aishani Chatterjee
@Aishani · 0:53
क्योंकि दूसरों की स्वेल सुनने से और उन स्वेल्स पर अप्लाई करने से, जो स्वेल्स आपको इंटरस्टिंग लगे अच्छा लगे आप दूसरों के साथ कनेक्ट कर पाएंगे इस प्लेटफार्म पर। और अपना स्वेल कास्टिंग जर्नी भी शुरू कर पाएंगे। तो लिंक को प्रेस करके वो स्वेल आप जरूर सुनिएगा। और वेलकम ऑन स्वेल। वन स? अगेन।