नमस्ते? आप? सभी का। स्वागत है आज से। पर फिर से। आज। अल्लग मुद्दे। पर आज भी ऐसा ही है। पर क्यूँ? मैं कुछ ऐसा सोच बैठी हूँ कि जमाना बदल चुका है? समय खूब आगे बढ़ गया है। सोच भी शायद बदल गयी होगी? अब। मैं समझदार हो गयी। हूँ से? क्या हुआ? तालाब करना है? इतनी? समझ तो रखती है? अरे? अब तो? शायद अगर लोगों से भी दोस्ती हो? तो कोई अतराज नहीं होगा। आखिर? वो भी तो इंसानी है। दिन रात तक।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 1:28
ऐसा लगता है कि आज की पीडी अगर ठान लें। तो? शायद बदलाव की लहर। आएगी। सभी। मिलकर। थोड़ा थोड़ा सोच में बदलाव। लाएं। बदलाव? जरूर? आएगा। समय लगेगा। पर आएगा? बदलाव।
dosti ka galat kya hota इंसान से जमना हाथ में हम बदलेंगे तो जमाना बदलेंगे जमाना हमसे हम जमाना क्योंकी अगर ऐसे जमाने के से चलने लगे तो तो कुछ कर ही नहीं पायेंगे यहाँ रोक टोक वहाँ रोक हर जगह रोक टोक ही मिलेगी लेकिन है बहुत सी बातें ध्यान रखना पड़ता है बाकी आपकी बात तो दम है आई सेल्यूट आपने कहा क्यूकी बहुत लोग नहीं बोल पाते हेडसॉफयरसबोलने के लिए जिगर पास बहुत ज्यादा वाला जगह है थैंक यू।