90s Memory lane -INDIA
जिससे भारत की आम जनता को नए तरीके से जोड़ने। का। 1 नया दौर शुरू हुआ था। यह 1 ऐसा दौर था जहाँ भारत का सामाजिक और सांस्कृतिक जो दृष्टिकोण था। जो 1 बिहेवियर था, तरीका था। वो बदलने लगा था। वो बहुत ही गहराई से बदलने लगा था। ये वो दौर था जब ब्लैक वाइट से कलर। टीवी में। दुनिया? खासतौर पर इंडिया का पार्ट बहुत तेजी से बदला था। उस देश का आना। एंटीने को? हिलाना। ताकि। 1 छत के चढ़के? बच्चा।
Neelam Singh
@NEELAM · 1:52
सुन के। आपका। स्वैल। उस समय। किसी की आंखों पर चश्मा भी नहीं लगा होता था। क्योंकि उन दिनों ये फोन वगैरह इतना नहीं था। अपना 1 टीवी होता था। जिस पर। हम बहुत इंतजार करते थे। तब जा कर के कोई शो आता था। चित्रहार आता था। तो बहुत अमेजिंग टाइम था। जो गुजर गया। सो? थैंक यू।
कि हां मतलब ये वो वाली बात चल रही है। और वो एंटीना का सही करना और उस तरह की चीजें जो नाइंटीज में होती थी कार्ड्स देना। 1 लैमिनेशन करके कुछ चीज होती थी। वो लैमिनेट करके हम देते थे और बहुत अच्छी चीजें थीं। बहुत अच्छी मेमरीज है। और जिस तरह से आपने बताया शक्तिमान। मुझे आज भी याद है की हम लोग स्कूल से आते थे तो सैटरडे सैटरडे को आता था सैटरडे को। हमारा स्कूल होता था तो सारे बच्चे जल्दी करते थे जल्दी पहुंचे घर जल्दी शक्तिमान निकल जायेगा? बहुत सारे बच्चे तो छुट्टी मार लेते थे इसलिए सैटरडे की।
Swell Team
@Swell · 0:15
जो मेरे खयाल से साइज में छोटी होने लग गई? और स्लिम चीजें स्लिम ट्रिम होने लग गई? लोग थोड़े भारी भरकम होने लग गए? तो ये वही से कल्चर शुरू हो गया? जब 25 पैसे में भी चीजें मिल जाती थीं? मुझे याद है? तो वो दौर भी अलग था? और यह दौर भी अलग है?
ने के नाटकों का। जो हुजूम आया था वहां से। वो सीरियल की क्वीन बनी थी। बट। वो दौर भी अच्छा था। मजेदार था। फैमिली बैठती थी। बाहर छुपंचबाईखेलीजाती थी। और बहुत सारे गेम्स होती थी। क्या? वो तो बचपन का वो टाइम? बड़ा अच्छा था? याद आता है? क्यूंकि? अब काम में? इतने मशरूफ? हो गए? सब लोग? बिजी हो गए? सारे? दोस्त? चले गए? हम? ज्यादा? इसमें बोलूंगा? नहीं?