और फिर हम अपने आप को कोसते रहते हैं? कि काश? हमने जाके? बात की होती? पता नहीं क्या होता? आगे? लेकिन अगर? हमें नाम तो पता चल जाता? वो? मुलाकात? क्या? पता? और मुलाकातों में। हम बदल सकते थे? पर हमने ऐसा क्यों? नहीं किया? यह सोच? सोच के। हम अपने आप को कोसते रहते हैं? न? उनकी आँखों को भूल पाते हैं? न उनके चेहरे को। उनकी अदा है। हाय? अपने दिल में। 1 छोटा सा घर बना के? पता नहीं कहाँ चले गए हैं?
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 1:37
नमस्कार? दिल? मैं हेमा सीना? बोल रही हूं। आज। आपकी स्वेल पर पोस्ट। सुनी। जो आपने हैं? बोली है। वो। 1 मुलाकात के बारे में। बहुत अच्छी बात। बोली। आपने। बहुत सही कहा है। लाइफ में। कई बार ऐसा हो जाता है। और हमें कोई चंद लम्हों के लिए मिलता है। लेकिन पता है? क्या? हम संकोच कर जाते हैं? हम खुलकर? पूछ? नहीं पाते? उस टाइम? और उस टाइम। कोई सवाल भी। हमारे दिमाग में। ज्यादा नहीं। आते।