हेलो गाइस? मैं आपका दोस्त देवांश नामदेव आ चुका हूँ अपनी 1 कविता के साथ। जिसका शीर्षक है सनातन मेरी पहचान। सनातन मेरी पहचान है। सनातन से ही। तो। ये सारा जहान है। सनातन। वो? जो सबको ज्ञान दिखाता है। बस। 1। यही तो है जो वसुदेव कुटुंबकम सिखाता है? हो? चाहे कोई। किसी धर्म का। ये सबको अपना बनाता है? हर कोई इसमें आकर बस? इसमें ही रम जाता है। हर स्त्री का सम्मान करना। सनातन ही तो सिखाता है।
Kushagra verma
@Kushagraverma · 2:20
तो जैसा हमें भारत वर्ष में रहते हुए लगता है। उससे कई ज्यादा भारत और सनातन धर्म को वो महसूस करते होंगे? जो विदेश में रहते हैं। चाहे इससे वो किसी को बोल पाए? या नहीं? बोल पाए? या समझाए? या नहीं? समझाएं? ऐसा मुझे लगता है। और भारत को भी। हम माता बोलते हैं? धरती को भी माता बोलते हैं? गाय को भी माता बोलते हैं। हम सब सब में हम 1 भगवान की छवि देखते हैं। और हमारे तो कणकण में भगवान बसते हैं। ये सनातन धर्म की देन है। यही से शुरुआत है।