ये समझ नहीं आता कि इस जिंदगी को क्या? नाम? 2? इसे? यूं ही जीतू? किससे कुछ बाते करू? आज भी? क्यों? मुझे? तुम याद आती? हो? समझ नहीं आता कि आज भी? क्यों? मेरे ही खयालों में नजर आती? है? ये? यादें वो? किससे? जो तुमसे जुड़े थे? आज भी। तुम्हारे पास। मेरी ही जिंदगी वैसे ही है? मैं यह भी नहीं जानता कि मैं बातें किससे? कहूँ?
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 1:16
जब हम उस चीज से गुजरे हैं? और हम नहीं भी। गुजरे हों? तो भी। किसी भी चीज में इमोशन डालना मतलब उसमें जान डालने के बराबर होती है। शब्दों को ऐसे पिरो कर। उन्हें 1 मीनिंग फुल सेंटेंस में फीलिंग के साथ कनवर्ट करना और उसे एटलास्ट पोएम। बोलना। इस सच स्ट्रेंस, फुल, वर्क और आपने। बहुत ही खूबसूरती से लिखा है। एवरी बिड ऑफ इट वॉज? जस्ट? वेरी? इमोशनल? थैंक? यू।