@Danishalfaaz1
Danish Beg
@Danishalfaaz1 · 1:25

Ahsas

तू अपनी चिट्ठियों में। मीर के आशार। लिखती है? मुहब्बत के बिना? है? जिंदगी? बेकार? लिखती है। तेरे। खत तो इबारत है? वफादारी के कस्बों से। जिन्हें मैं पढता? डरता हूं? वही बार बार। लिखती है। तू। पैरो कारे। लैला? की है? शिरीन की है? पुजारन मगर। तू जिस पे बैठी है, वो सोने का सिंहासन है। तेरे। पलकों के मस्कारे। तेरे होटों की लाली? ये तेरे रेशमी कपड़े यह तेरे कान की बाली? गले का ये चमकता? हार?
@Kavya13
Kavya .
@Kavya13 · 0:49
मैं आपकी कविता की बहुत प्रशंसा करती हूँ कि जिस तरह से आपने एहसास को इस प्यारी कुछ पंक्तियों में डिस्क्राइब किया है इस रेली कमेंडेबल सास को 1 अनूठा जज्बात है जिसे शब्दों में न जिससे हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं। और लेकिन आपने अपनी पंक्तियों से 1 बहुत ही प्यारा सा ये इमोशन हमारे समक्ष रखा है और ये अहसास वो 1 छुपी हुई भावना है जो सिर्फ जो सिर्फ 1 मतलब दिल के तार से होकर गुजरती है। और मैं आशा करती हूँ की आप ऐसी ही बहुत सी अच्छी कविताएं हमारे समक्ष लेते आएंगे।
0:00
0:00