जुड़ा हूँ। सबको जोड़ के बना हूं, सबको बनता देख के बदलते, वक्त के साथ बदलते हुए। रिश्तों? सं? जीता हूं। न चाहते भी। सबकी खुशियों के लिए। बदलता भी हूं। हां? बड़ा भाई हूं? समझाता हूं? समझता भी हूँ, सबसे ज्यादा सोचता भी हूँ। गुस्सा भी होता हूँ? रोता भी हूँ। सबके खुशियों के लिए, अपनी खुशियों को पीछे भी छोड़ता हूँ। गलती, उनकी समझा के गलती। सबकी खुद पर लेता भी हूं। हां? बड़ा भाई हूं।

Its abt a big brothers role.. #badabhai #hindipoetry #truth #zindagi

@Raghavkatta
Raghav Katta
@Raghavkatta · 0:36

@CuTeStVaMpIrEz

hi भई आपका जो pon जो आपने कविता लिखी है गजब की कविता और मैं इससे बहुत ज्यादा डेट कर रहा हूँ बिकज मेरी 1 छोटी बहन है मेरी 1 छोटी बहन है मे भी काफी सैकरफाइसेसकरने पडते है उनकी हंसी उनकी स्माइल को देख ऐसा लगता है तो क्या हो गया थोड़ा और पर इसके मुंह पर स्माइल देखेंगे यह कुछ नहीं सुना।
@CuTeStVaMpIrEz
Apurva M
@CuTeStVaMpIrEz · 0:23

@Raghavkatta

amazing hako thank you for liking।
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