यदि हम विद्यार्थी ध्यान पूर्वक पढ़ते हैं, सुनते हैं, समझते हैं, मनन करते हैं और घर में आके क**ेस् करते हैं? तो कोई कारण ही नहीं हो सकता कि हमको समझ में न आये। आज विद्यार्थी नियमित रूप से पुस्तक अध्ययन नहीं करना चाहता। वह सिर्फ परीक्षा में जैसे ही पास आने लगती है। तब थोड़ा सा परिश्रम करता है। और उसके बाद वह अच्छे से अच्छे मार्ग लाने की कोशिश करता है। उसका विश्वास अपने ज्ञान, परिश्रम, पुस्तकों और गुरुओं के प्रति न होकर, भाग्य पर अधिक जम जाता है। यही कारण है की ऐसे विद्यार्थी को भाग्य निश्चित रूप से धोखा दे देता है। जो कि सब कुछ भाग्य के हवाले कर देता है।