@bhaskaredge
Bhaskar
@bhaskaredge · 1:31

ज़िंदगी की लड़ाइयाँ

नहीं बचा अब मुझमें, वो जुनून हर ख्वाब को सच कर देने का लड़ाइयाँ इस जिंदगी की सब एकएक कर के हार चुका हूँ मैं अब अब अगर कोई कहे कह दे मुझसे कि ख्वाब हकीकत बन जाते हैं झुटला दूंगा दावों को ऐसे में अपनी आँखें मूंद कर अब नहीं जीतना इस दौड़ में मुझे मुझे यूं ही पीछे रह जाने 2 कोई हाथ न पकड़े मेरा गलती से से भी हाथ अपने छाती से लगा रखे हैं मैंने अब नहीं लगता कोई ख्वाब मुझे बड़ा सब धोखा सा लगता है छलावा साहो कोई जिंदगी कुछ यूँ लगता है पल पल गिनकर जैसे सदियाँ गुजर रही हूं मैं सदियों में अपने पल बिता रहा हूँ बाकी जो बची है लड़ाइयां इस जिंदगी की बिना लड़े ही उन्हें रोज हार रहा हूं अब नहीं बचा मुझमें वो, जुनून हर खवाब को सच कर देने का।

I wrote this when i was really low. Its not in any particular format, just random lines. I have won few battles since then, you can too.

@Shilpi-Bhalla
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:27
हलो भास्कर जी सुन्दर कविता और बहुत अच्छे शब्दों के साथ और बिल्कुल सच भी है कि जिंदगी में कई बार हम हारने का 1 ऐसे मुकाम पर आ जाते हैं जहां हारने का डर तो खत्म हो जाता है, ब* जीतने की ख्वाहिश भी खत्म हो जाती है तो मुझे बहुत सही लगा ये पॉइंट बहुत अच्छी कविता थी।
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