वो शाम का वक्त था। हल्की सी शाम वाली सुनहरी। धूप। अभी भी। उसकी काली सैंडल पर गिर रही थी। काली जींस और लाल स्वेटर में। वो गजब के खेल रही थी। दरअसल वो लाल राम रंग। उसपे। बहुत खेल रहा था। मैं वहीं था। उसके पास। उसे निहार रहा था। हजारों बातें मेरे जहन में थी? जो मैं उस वक्त कह देना चाहता था? पर मालूम था। अगर इन होठों ने बयां किया तो? शायद आँखों से जज्बाद बह? चलेंगे। उसके जाने का वक्त हो चला था। फिर वो कब?
Aishani Chatterjee
@Aishani · 0:41
हाई भास्कर बहुत अच्छा लगा आपने काफी दिनों बाद कुछ पोस्ट किया और बहुत दिल को छू गया यह भी आपके हर 1 राइट और पोयटेकीतरह yeah this was really really you know the ke said it detchdacordand its a very beautiful peace बहुत खूबसूरत है और absolutely love listning to it।