अब ऐसा नहीं है कि खुशी नहीं होती सबसे इन्हीं की वजह से तो हम 1 ऐसी जिंदगी जी पाते हैं, जिसमें सारी सहूलते है पर वैसे अंदर वाली खुशी नहीं मिलती। अब मैंने यह फैसला लिया है कि मैं अपने उन सपनों के लिए काम करूंगा जो मैंने बचपन में देखे थे अपने ये काम या प्रोफेशन इन सबके एस्पिरेशंस को सेकेंडरी बना कर अपनी पर्सनल लाइफ के एक्सपेरेशन को प्राइमरी बनाऊंगा मैंने यह फैसला लिया है कि मैं इन काम के जो 9 10 घंटे हैं, इनके बाद के जो वक्त मुझे मिल पाता है, वो अपने लिए जीऊंगा देखो।
Neelam Singh
@NEELAM · 0:52
ह**ो? भास्कर? जी? गुड? ईवनिंग। आपने बिल्कुल? सही? कहा कि हमें अंदर वाली खुशी के लिए जीना चाहिए। मुझे सुनकर खुशी हुई कि आपने ये कहा आपने? मुझे इसके लिए इनवाइट नहीं किया? दूसरे स्वेल के लिए किया। पर मुझे यह बहुत ही ज्यादा पसंद आया कि हमें अपने लिए जीना। अपनी ख्वाहिशों को नहीं मारना चाहिए। हां? बेशक रोज की जरूरत है। हमारे जीवन का हिस्सा है। और उसके बिना तो हमारा जीवन चल नहीं सकता। लेकिन 1 हमारे अपने भी। 1 अंदर ही जीने की।