@banzara_boy
Anuj Kumar
@banzara_boy · 2:28

Khaalipan

article image placeholderUploaded by @banzara_boy
लम्हे आँखों से गुजर जाते हैं। रह जाती हैं। सिस्कियां। तड़पन। और बेबस। नाम के। अंत में। रह जाती हैं। सिस्कियां। तड़पन और बेबस। नामके। काश। यूं होता सोचकर। आखिरी पल। गुजर जाते हैं। काश। यूं होता सोचकर। आखिरी पल। गुजर जाते हैं। आशा? करता आप सभी लोग। ठीक होंगे। आपको ये लाइनें पसंद आई होगी? अगर पसंद आई तो कमेंट में कुछ अपने द्वारा लिखे हुए पंक्ति र्स करें। थैंक यू।

Lonliness , emptiness

@voicequeen
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:35
हेलो अनुजी। आपकी कविता सुनी। आपकी कविता की वास्तविकता को व्यक्त करती हुई बड़ी सुन्दर कविता लगी। आपने सच ही कहा है की जीवन में हर सपना पूरा नहीं होता। कभी दारियों के चलते? कभी मास के चलते। जीवन में कुछ न कुछ खाली पन ही जाता है। और इसी पर मेरी लिखी 2 पंक्तियाँ आ जाती है। चारो ओर भीड़ है? चारों और भीड़ है? तो फिर अंदर कैसा? समनाता है? चारों और भीड़ है? तो अन्दर कैसा? गहरा? समनाता है?
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