@awaazhipehchan
Vibha Sagar
@awaazhipehchan · 4:16

Bhakti ya sakti

article image placeholderUploaded by @awaazhipehchan
मैं कभी किसी की बातें सुनती हूं? नहीं? तो शायद वो बोलते भी होंगे? शायद वो अपग्रेड लाते भी होंगे। पर हम जब धर्म की कुछ बात आ जाती है? रिलीजन की बात आ जाती है। हम इतने भावुक हो जाते हैं? हम इतने सेंटीमेंटल? मतलब? अरब? सागर? जो है। हमारा? अरब? सागर? नहीं? क्या? यह हिंद? महासागर? इतनी? जितनी? उसमें लहरें होती है? उतनी सारी? लहरें। आ जाती है? अरे? नहीं? नहीं? नहीं? ये धर्म की बात है। हम कैसे?

Dharam ke baarein mere vichaar. Kya yeh sahi tarika hain ya galat?

@Aishani
Aishani Chatterjee
@Aishani · 0:55
या भक्ति की जो एसेंस है वो किसी तरह से चला जाता है। दैट? इज? डेफिनिटली। नॉरिसआरगुल? तो सभी को ध्यान रखना चाहिए कि भक्ति कभी सख्ती न बन जाए। और जिसको जैसे भी पूजा पाठ करना हो जो भी करना हो वो करें। क्योंकि मन में अगर आपके भक्ति है। तो आई थिंक दैट्स वाट रियली काउंस।
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