यदि मैं बुढ़ापे में किसी को कुरूप मालूम पडूं? तो मैं इसे हिंसा मानता हूं। क्योंकि इससे उसको उसको बुरा लगेगा? तो? बताइए? आपको? कैसा लगा? आज? यह किन का? सफर? क्या? साज? सिंगार? सच में? इतना जरूरी है?
इसलिए कभी कभी कहा जाता है कि अगर आपका मूड ऑफ हो या आपको कुछ अच्छा नहीं लग रहा हो तो अपने आप को सझाने की कोशिश करो। अपने आपको बेस्ट रूप में दिखाने की कोशिश करो। क्योंकि जब अपने आप को अच्छी तरह दिखा प्रेजेंट करने में आप व्यस्त रहते हैं तो उसकी वजह से आपकी विश्वास भी बढ़ती है। तो बुढापे में तो इसकी सख्त जरूरत है। मेरे हिसाब से।