Amita Sharma
@Amita22Meet1234 · 3:28
Meet ke bol-2 वज़ूद रिश्तों का…
नमस्कार? मित्रों। आज। मैं अमिता शर्मा मिल बनारसी। आज फिर आप सब के कुछ। अपनी नई पंक्तियों को लेकर। नए सोच को लेकर। आज के जो हालात हैं, उसमें मैंने सोचा कि क्यों न हम रिश्तों की तरफ ध्यान दें? रिश्तों को मजबूत करना ज्यादा जरूरी है। क्योंकि इन रिश्तों का वजूद कमजोर होता जा रहा है। तो उसी पर मैंने कुछ लिखने का प्रयास किया था। वो आप सब से साझा कर रही है। मेरी कविता का शीर्षक है वजूद रिश्तों का। लोग कहते हैं कि रिश्तों की उम्र नहीं होती।
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:41
ह**ो? अमिता मैम थैंक्यू सो मच। इतनी सुंदर। कविता साझा करने के लिए। मैंने भी रिश्तों के नाम अपनी 1 कविता लिखी है। जिसकी बदलते रिश्तों के मायने सुनिएगा। आप भी बताएगा कैसा है? आपने बहुत अच्छे से बताया कि पहले जो गर्माहट थी रिश्तों में वो अपने ही है। सही बात है। कहीं न कहीं चमक धमक के पीछे रिश्ते खोखले होते जा रहे हैं? खाली पन होते जा रहे हैं। रिश्तों में जो अपना पन था वो कहीं पीछे छूटता जा रहा है? और इसकी वजह भी सही बात है। अपने लोग। लालच इशा, आपसी मतभेद पहले भी होते थे।