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alfaazo wala radio Singh
@alfazwale · 4:49

खुलाख़त ॥…dear lati

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वो कभी उस खत को पढ़ नहीं पाता है। तो मैंने भी अपने दिल की तिजोरी में। 1 ऐसा खत कैद करके रखा हुआ है। जो आज आप सभी के सामने खोल दूंगा? खुला? तो? डर। लाटी। आज। महीनों बीत गए। आप से। कोई मुलाकात नहीं हुई। वो। किराने की? दुकान? वो, रस्ते, वो, मोहल्ले। वोनुक्कढवो। गलियां। आज भी आपका रिश्ता दिखती है? मैं जाता हूँ? अक्सर। उन गलियों से। निकलते। मुझे। सारी की। सारी। चीजें आज भी याद है? लेकिन सिर्फ आपकी।

एक दिन तुम आओग़ी zarurr….??

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