तुम्हें रोती थी जब कभी तुम मुझे मनाया करते थे टूटे न ये दिल कभी तुम। खूब हंसाया करते थे मेरी ही। गलती को। तुम अपना मान लिया करते थे गलत नहीं हूँ मैं। मुझसे छुपाया करते थे भूली नहीं कोई बातें जो मेरे लिए तुम करते थे याद है मुझे सब राते जब फ़ोन पर रोया करते थे याद है तुम्हें धन्यवाद दोस्तों
हाय? सतीश जी। आप के स्वर? याद है? तुम्हें? मुझे बहुत अच्छा लगा। जिस तरह। आप याद है। तुम्हें? शीर्षक। इस कविता से सबको अपनी यादगार पल। जो है उसकी याद दिलाने की कोशिश? कि है? आप जिस तरह मन में या भरे हुए यादों को बाहर लाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे बहुत अच्छा लगा। कभी कभी। यादे जो होते हैं उसे इतना ताकत होता है। लोगों के बीच जो जगडा हो रही है, उसे खत्म करने की जो क्षमता है वो सिर्फ यादों में ही बसती है।
Adarsh Rai
@TheDevilsHorse · 1:51
तुम्हें उससे बिल्कुल सटीक और भाग विभोर कर देती है। सटीक तो है ही है बट मन को भी काफी छू लेती है। और मेरे मन को भी छुआ है। तो बहुत बहुत धन्यवाद। हमारे साथ। अपनी कविता को चुनिंदा शब्दों के साथ हमारे साथ शेयर करने के लिए। ऐसे ही आप उच्च कोटी की कविताएं लिखते रहिये। और मैं आपसे। फिर। किसी न किसी स्वेल में। मिलूंगा बहुत बहुत धन्यवाद। सतीश बहुत अच्छा लगा। काफी टाइम बाद आप स्वेल पे आये। और इतनी बेहतरीन बैक टू?