अपने मंजिल को? कांटों को? तोड़ कर लक्ष्य की ओर भागना है। तू कर सकता है? ये विश्वास है? तू? कर सकता है? यह विश्वास है तेरे अपने को। तुझसे आ रहे। मत तक। अब मेरे शेर। मंजिल भी। तो। अब बस पास है। मुश्किलों से। तुझे लड़ना है। जीत को हासिल करना है। आशा करती हूँ आप सबको। मेरी। यह कविता पसंद आएगी। और अगर पसंद आए। तो लाइक और शेयर करना। मत भूलिएगा। थैंक यू।