@A-ZZ-0-23
Meera Kumar
@A-ZZ-0-23 · 4:46

Aham (ego)

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अहम ego ये ऐसी चीजें हैं जो हम इंसानों को कहीं न कहीं अंदर से धीरे धीरे पूरी तरीके से खोखला कर देती है और शायद हम इन बातों को समझ भी नहीं पाते हैं ठीक वैसे ही जैसे 1 आयरन रॉड पर धीरे धीरे हवा धूप पानी का असर पड़ते पड़ते 1 समय ऐसा आता है कि उसका अपना रस्ट उसका अपना जंग उस आयरन रॉड को बिल्कुल खाली कर देता है वह बिल्कुल खोखला हो जाता है टूट जाता है बिखर जाता है ठीक हम ह्यूमन विंग्स की भी ऐसी ही टेंडेंसी होती है कि कुछ बातों को लेकर के हम अपने ईगो और अहम को इतना इम्पोर्टेंस दे देते हैं कि आसपास के लोग हमसे कब दूर चले जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता और जब पता चलता है तब तक बिल्कुल उस आयरन रॉड की तरह हम भी टूट कर बिखरने को तैयार रहते हैं मुझे बस 1 चीज पूछनी है क्या यह ईगो बहुत जरूरी है लाइफ में क्या बिना ईगो के हम इंसान नहीं रह सकते सबको पता है कि इंसान के साथ इंसान का रहना बहुत जरूरी है आज की लाइफ में कोरोना ने जितने अच्छे से हमें ये सिखा दिया है कि 1 के साथ दूसरा अगर न खड़ा रहे तो सच बात यह है कि हमारी डेड बॉडीज का जो लास्ट रिचुअल होता है जो उनकी लास्ट राइट है वो भी नहीं हो सकती है उसके बावजूद हम सब कहीं न कहीं 1 शेल में खुद को बंद रखते हैं हमें मतलब ही नहीं होता कि अगले को कुछ प्रॉब्लम है या उसको समझना है हम बस अपना उस शेल का दरवाजा अपने अहम से ईगो से बंद कर देते हैं जरा गौर करिएगा क्या ये ईगो या अहम किसी इंसान से ज्यादा जरूरी होता है क्या अगर किसी ने सपोज ईगो त्याग दी अगर उसने अहम खत्म कर लिया तो न जाने क्यों हम इंसान उसको बहुत ही कमजोर समझने लगते हैं हमें लगता है अरे वो तो तुरंत इतना ढीला पड़ गया और आ के सामने बात करके गया है पर हम हमेशा भूल जाते हैं इस बात को कि अक्सर झुकता वही है जिसमें फल लगे होते हैं अर्थात जिसमें क्वालिटी होती है वही झुकता है अदरवाइज अकड़ रहने से तो तेज हवा में पौधे भी जड़ से उखड़ के दूर चले जाते हैं हम सभी इन सब बातों को जानते हैं पर मानते क्यों नहीं अब यह वक्त आ गया है जब हमें इन छोटी छोटी बातों को सोचना चाहिए सभी लोग गांव हो या शहर हो बड़े बड़े घरों में रहते हैं पर आसपास क्या हो रहा है किसके साथ कितना बुरा हो रहा है या कोई घटना दुर्घटना हो रही है हम सब भाव विहीन हो गए हैं हमे मतलब ही नहीं होता हम सब अपना ईगो पाल बैठे हैं कि पहले अगला आएगा फिर हम बातें करेंगे उस अगले की चाहत में लाइफ की स्पेन भी छोटी होती जा रही है और शायद वो आए ही न तो बेहतर है अपना ईगो त्याग करके उस रस्ट की जगह आप उस लोहे पर 1 पोलिश चढ़ा दीजिए और उस पॉलिश के ऊपर से कितना भी हवा धूप या कोई भी रिएक्शन होगा तो कम से कम इतना तो है कि वो टूटेगा नहीं और वो जो पोलिश है वो आपके अपने मृदुल स्वभाव का होना चाहिए ताकि कोई भी आय आपकी बातों का आपके जाने के बाद भी उनको याद से रख सके मेरा यह पोडकास्ट आपको अच्छा लगे तो प्लीज जवाब जरूर दीजिएगा थैंक यू

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@Aishani
Aishani Chatterjee
@Aishani · 3:05
आई थिंक क्योंकि हम कभी कभी चीजों को बहुत ज्यादा फोरग्रांटेड ले लेते हैं, लोगों को बहुत ज्यादा फोरग्रांटेड ले लेते है। बट हमें यह ख्याल रखना पड़ता है कि जैसे हम सोच रहे हैं शायद शायद वो सिचुएशन वैसा न हो शायद हम किसी और नजरिए से देख रहे है। सिचुएशन को सो यह आई थिंक इंट्रोस्पेक्ट करना खुद ही खुद में झांकना और अपने रियलिटी को डिफ्रेंट परस्पेक्टिव से देखना ही। now i think is the his form of inteलिजेंcand intelect and the histform of being a human bing, one of the histformsroder, yeah, it its वेरी imपor्टंt।
@A-ZZ-0-23
Meera Kumar
@A-ZZ-0-23 · 0:33

@Aishani

थैंक्स सानी, थैंक्स फॉर योर वॉट्स रियली अच्छा लगता है। जब कुछ भी यह नहीं है कि मेरी सिर्फ तारीफ ही हो। मैंने पहले भी कहा कि क्रिटिसिज्म भी जरूरी है और मुझे क्रिटिक्स भी पसंद है। पर कुछ भी हो, जो भी मैं बोलती हूँ, उसपे पॉजिटिव और निगेटिव स्पेक्स होने चाहिए, ताकि मैं और अपने आप को बेटर सुधारकर और बढिया अपने आपको ला सकूँ। थैंकस फॉर यूर वॉर्ड्स थैंक यू डियर।
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