@A-ZZ-0-23
Meera Kumar
@A-ZZ-0-23 · 4:11

Women’s day special

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और हम उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। और चलना भी चाहिए। पर 1 समय ऐसा आता है कि धीरे धीरे अगर आपके बच्चे हैं तो उनके पंख निकल आते हैं और वो अपना घोसला छोड़कर दूसरे घोसले की तलाश में निकल जाते हैं। जो जिंदगी का रवैया है। और आज के दौर में औरतों के पास। उसके बाद कोई समय नहीं रहता। सिवाय उस सोचने के दिन रात? उसी में। वो रह जाती है कि मैंने तो ये किया मैंने वो किया। वो भूल जाती हैं कि वो जो दीमक था उसका समय खत्म हो चुका है।

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@Aishani
Aishani Chatterjee
@Aishani · 4:00
आइ। थिंक। मुझे। हमेशा से। यह चीज काफी अनफेयर लगी है। क्योंकि मैंने अपने भी परिवार में जितने औरतों को देखा है। मेरी मां? मेरी मां? सी। मेरे। जो भी हो। करीब के? या दूर के। रिलेटिव्स, ईवन, वुमन, हो। आर, वर्किंग। वुमन। मैंने। वर्किंग। वुमन। को भी देखा है कि काम के साथ साथ घर को भी। 1 साथ संभालना। उसके लिए। खुद को वो रेस्ट न देना? या वो टाइम न देना? जो 1 इंसान को 1 इंसान के मेंटल।
@A-ZZ-0-23
Meera Kumar
@A-ZZ-0-23 · 1:18

@Aishani

हाई थैंक्स फॉर योर वार्ट्स सानी यूर वार्ट्स और रियली इंस्पायरिंग में मैंने अभी उस पोडकास्ट के बाद अभी तक कुछ लिखा नहीं था क्योंकि बहुत अच्छे रिएक्शंस मुझे दिख नहीं रहे थे यू नो कि हर टाइम इंसान को आगे बढ़ने के लिए कुछ न कुछ रिएक्शंस चाहिए होता है अच्छा हो या बुरा हो और आई थिंक शायद मुझे यह हमेशा स्टार्टिंग से ये फील होता है कि क्रिटिसिज्म जब तक न हो या कुछ बातें न हो तो इंसान आगे नहीं बढ़ सकता है तो मुझे आपकी बातें बहुत अच्छी लगी आपने एप्रीशिएट किया सारा कुछ पॉजिटिव वे में बताया और सच्चाई है इस अ बेटर ट्रुथ हमारे सोशल हमारे समाज का यह कि अभी भी कहीं न कहीं औरतें जो फर्स्ट स्टेप घर के बाहर करती हैं तो उनको कुछ न कुछ सुनना ही पड़ता है इसी को लेकर के आज मैं 1 दूसरा पोडकास्ट अभी बनाउंगी आई होप कि आपको वो भी जरूर पसंद आना चाहिए नहीं भी पसंद आए तो कुछ वर्ड्स जरूर देना फॉर माई सेकेंड पोडकास्ट क्योंकि यू नो न कि वर्ड्स अरावरवायोरेटर और बहुत कुछ कह करके जाते हैं थैंक्स थैंक्स जेयर
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