भीड़ मानसिकता का विश्लेषण - आइये इस पॉडकास्ट में जाने, एक देश जहाँ का प्रधान सेवक पढ़े लिखें न हो बदलती दुनिया के हिसाब से क्या चाहेंगे?
लेकिन परिवर्तन ही संसार का नियम है। जैसा मैं मानता हूँ अगर आप देखो शिक्षा, जो 1 ऐसी चीज है शिक्षा, आज कल शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं होता। मैं ऐसा मानता हूँ शिक्षा वो चीज है जिस चीज से आप किसी की जिंदगी में कुछ वैल्यू क्रिएट कर पाओ और जिसके बदले आपको पैसा मिलता है वो वो मेरे ख्याल से असली शिक्षा है शिक्षा, रटंत, विद्या, को में शिक्षा नहीं मानता शिक्षा, वो चीज है ये हर हर क्षेत्र में आपको देखने को मिल जाएगा। तो मैं ऐसा मानता हूँ।
मैं चाहता हूँ कि देश में कुछ नए अवसर आये जिसमे युवाओं को बोला जाए कि चलो मैं तुमको यह सिखाता हूँ जिससे कम से कम तुम अपनी जीवनी कम से कम 50 हजार महीना कमाओ, मैं ऐसा मानता हूँ 50 हजार।
आप अपने अध्यापकों के लिए ऋणी हो, वो आपको बड़ा कर रहे हैं, आपको एक्सपीरियंस से बड़ा कर रहे हैं तो मैं ऐसा मानता हूँ। आप सब को ये सोचना चाहिए। अगर आपको इतिहास के पन्नों में, भारत के इतिहास के पन्नों में अपना नाम डालना है 1 युवा की तरह तो आपको आपको पूर्णता यह कोशिश करनी है की आप अपने पद चिन बनाए जो आपके बने। आप किसी इतिहास के पद चिनों पर चलोगे तो आपके लिए सबसे अच्छा, सबसे अच्छा मैं बताता हूँ।
Swell Team
@Swell · 0:15
आपका जो दिमाग है वही 1 ब्रह्मांड है आपको लगेगा कि जो आपके साथ हो रहा है या आपके कुछ लोगों के साथ हो रहा है वही योग बन रहा है। नहीं वही मैं आपको बताना रा हूँ युग बनते हैं और मिटते हैं आप रावण से ये सीख सकते हो लेकिन रावन इतना अच्छा स्टेटसमैन था उसके मरने के उपरांत विभीषण ने भी उससे सीखा काफी कुछ।
इसलिए भारत स्वयं में ही 1 संसार रूप है। मैं ऐसा मानता हूँ इसमें कई ऐसे लोग भी हैं जिन्हें आप, क्योंकि मैं ऐसा मानता हूं। इसमें कई ऐसे लोग भी हैं जिन्हें आप बेसिक कपड़ा, रोटी, मकान और कुछ आये दे 2 न्यूनतम, उन्हें मतलब नहीं आप, उन्हें क्या अप स्किलिंग 2 वो पहले 34 दिन आयेंगे और पांचवे दिन से वो फिर वापस हट जायेंगे। तो मैं ऐसा मानता हूँ कि भारत 1 काफी कॉम्प्लेक्स भू, यह मैंने, यह मैंने इस पर काफी विचार और विश्लेषण किया।