Jyotsana Rupam
@SPane23 · 3:16

सफर अधूरे चांद की

आज उसकी चांद कितनी खुश होगी? आज उसकी चांदनी कितनी खुश होगी? ये सोच। मन मन में तरंगों का लहर दौड़ उठता है। आज उसकी चांदनी कितनी खुश होगी? यह सोच मन में तरंगों का लहर दौड़ उठता है। फिर सोचती हूँ? फिर सोचती हूँ कल से ये चांद? फिर घटता चला जाएगा। कल से ये चांद? फिर घटता चला जाएगा। धीरे धीरे अपनी चांदनी से दूर होता चला जाएगा। फिर सोचती हूँ कल से ये चांद फिर घटता चला जाएगा। धीरे धीरे अपनी चांदनी से दूर होता चला जाएगा। अपने चांद को अधूरा देख। अपने चांद को अधूरा देख। चांदनी भी मायूस हो जाएगी।

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Urmila Verma
@urmi · 1:06
जोसनाजीआपकी। कविता। अधूरा चांद। सुनिए भी। बहुत सुंदर। कविता। चांद के बारे में। चांद घटता है? बढ़ता है। अमावश्य आती है? पूर्ण हिमाती है। चंद्रमा की कलाएं बढ़ती हैं? तो पूर्ण हिमा आती है। और घटती तो अमावस्या आती है। लेकिन जब घटती है। और अष्टमी आते आते। जब अधूरा चांद रह जाता है तब बड़ी मायूसी सी होती है। ऐसा लगता उसकी चांदनी उससे प्रथक हो गई। चांदनी कम हो जाती है तब। और अंधेरा पक्ष चल रहा होता है। तब।
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 0:33

@urmi

थैंक यू। सो मच और उर्मिला मैम। आपके वर्ड्स मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं क्योंकि आप बहुत सीनियर हैं और बहुत ही दिनों से इस क्षेत्र में हैं। आपकी कविताएं भी बहुत ही अंदरूनी तक टच करती हैं। अंदर बहुत अच्छी आपके शब्दों के चयन रहते हैं तो आपके द्वारा दिए गए कमेंट्स मेरे लिए बहुत मायने रखते। थैंक्यू थैंक यू? सो। मच। आपको मेरी कविता से थैंक यू।

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