अब मेरी इनके सहारे। गुजर, जाएगी, बाकी की जिंदगी। मेरी मिलेंगे। हम राही। बहुत सफर के पढ़ावों में। बस। अब कोई हमसफर न होगा? तेरे जैसा? सफर? अब भी? कटेगा? चलते? चलते? बिना हमराही? बिना साथी के? चल? पडूंगी। 1 अनजान मुसाफिर की तरह। बस। यह? याद। ोगी। धुंधली। रौशनी से मुंह। मोड़? कर। 1 नए सफर की तरफ। ढूंढने। 1 अनजानी रहगुजर की तरफ।
तो अनेक कांटे भी, राहें भी होंगी? तो अनेक कांटे भी। उम्मीद की किरण होगी? मंजिल तक पहुँचने की तलाश? यूं ही जारी रहेगी? बस? यूं ही जारी रहेगी। हर तरफ उम्मीद का ही सहारा होगा। न? कोई अपना, न कोई पराया होगा। 1 नए सफर में उम्मीद का ही 1 मात्र सहारा होगा? जी हां? इस जिन्दगी के नए सफर में उम्मीद का ही 1 मात्र सहारा होगा? धन्यवाद।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 0:24
प्रतिष्ठा? जी? थैंक यू? थैंक यू? थैंक यू सो। मच आपने इन पंक्तियों के द्वारा बहुत ही सुंदर मेसेज दिया। मन गदगद हो उठा। बस। ऐसे ही आप अपने सुंदर विचार व्यक्त करते रहिये। बहुत अच्छा लगा। आपको सुनकर।
ह**ो? विपिन जी? जो आपकी। यह शायरी है? सफर? 1। नया? सफर। यह सही में बहुत अच्छी है। जैसे कि इंसान अपनी लाइफ में अटक जाता है। पुरानी चीजों को लेकर। और उसे आगे बढ़ना चाहिए। वो आपकी। कविता ने बहुत अच्छे से समझाया है। बहुत अच्छा लिखा है आपने।