Deepanshu Saini
@Shorty_shot · 0:52
Me Milunga whin
आज देखा तो बड़े चुप से तेरे नजारे तू शरीर से तो यही पर तेरा मन था या नहीं क्या टीस है तेरे दिल में बदला दे आज तो तेरा मन थका हुआ था ये थकान थी शरीर की नहीं थकान काम की होती तो मैं पहचान चुका होता इतना तो मैं जान चुका होता ये मौसम की मार है इस रात का सूना पन की आज तू लगी दुखी न मन था तेरा चंचल कुछ है तो बता तू मुझे मैं बैठा यहीं कहीं दूर नहीं कहीं कहीं दूर नहीं कहीं देर न हो जाए यह बात तुझे घर न कर जाए मैं न सही किसी और को ही बदला दे अगर मन बदले तो मैं मिलूंगा वहीं मैं मिलूंगा वही।