हमेशा कमी नहीं देखनी? आज हम में कमियां ही तो हैं। सहनशीलता की कमी है? धैर्य की कमी है? त्याग की कमी है? विश्वास की कमी है? प्रेम की कमी है। हर इनसान कमी भी जी रहा है। लेकिन इस कमी की भरपाई भी तभी होगी? जब हमें शुक्राना का भाव होगा। सर्टिस्फेक्शन होनी? बहुत जरूरी है। संतुष्टि होना बहुत जरूरी है। कितने लोग ऐसे हैं? जिन्हें भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता।