जनाब हर हाथ आती है, हर लब को चूमती है। शिद्दते वफा है इसके संग मुझे इस कदर कलम के बाद रूह इसके लिए मचलती है। ये चस्के भी अपने खूब लगवाती है। जनाब हर सुबह न मिले तो सर दर्द भी करती है।
जनाब हर हाथ आती है, हर लब को चूमती है। शिद्दते वफा है इसके संग मुझे इस कदर कलम के बाद रूह इसके लिए मचलती है। ये चस्के भी अपने खूब लगवाती है। जनाब हर सुबह न मिले तो सर दर्द भी करती है।