Yugam Sagar
@ragasmaguy · 1:37
कविता।। झूठी मुस्कान ।।
वो। हमने लतीफा सुनाया। और उनकी बात बदल दिए। वो भी ठहाका मार कर हंस दिए। जैसे हमारा गम ही झूठा हो। या। ये। हंसी। परिहास थी हमारे दुख की। या। उनका? मन ही। हमसे रूठा हो। या तो हमारा अभिनय उच्चकोटी का था? या फिर गंवात उच्चकोटी का था? या आंसू छुपाने में कामयाब रहे। आज। पर। सवाल? उनकी कसौटी का था। उन्होंने। और सवाल पूछे। हमारा। मन? मचल गया। मुस्कुराहट रुक गई। चेहरा बदल गया।