Yugam Sagar
@ragasmaguy · 1:40
कविता ।।कवि ना बदला ।।
दिखता है किसानों तक पहुंचने में जूता घिसता है मंटों की। दिखाई राह। भूल गए। जाहिर है सम्मान भी। बिकता है शायर नहीं। जो मीठा बोले। बिका पत्रकार नहीं। जो झूठ बोले। कवि क्रिया करेगा कलम से भ्रष्ट भय करे नवयुग से। सच। जितना भी। बुरा। क्यों न हो ये कलम दूषित नहीं होगी केवल जुमले सुन सुन कर नई। पीढ़ी।