जब किसी ने साथ न दिया? तब उसने मेरा हाथ थाम लिया। जब कोई सुनना न चाहा। जब कोई मुझे सुनना न चाहा? तो उसने मेरी ख्वाहिशों को अपनी जुबान पे लिख डाला। तो उसने मेरी ख्वाहिशों को अपनी जुमा पर लिख। डाला। कुछ इस तरह से है? मेरा? और मेरे कलम का रिश्ता? कि। 1 पल भी। हम 1 दूसरे के बिना रह नहीं सकते? जब भी हुआ करती हूं। जब भी हुआ करती हूँ। मैं? उदास। तो वो बिन? कहीं समझ जाती है? मेरे? हर? जज्बात?
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 2:43
वेल? हेल्लो? प्रकाम्या? गुड? मॉर्निंग। आपने जो लिखा है वो सच में बहुत ही प्यारा है। एंड सीरियसली ये एक्सप्लेन कर रहा है कि आपने कैसे स्टार्टिंग की? लिखने की? और अभी आप कहाँ पहुँच गए हो? सच में। बहुत ही अच्छा था। मैं भी लिखती हूँ। आम। आलसो? इन सोमानी? राइटिंग? कॉम्म्युनिटिज? आई? हैव? बीइंग? पब्लिश्ड? आज कोआथरइनमोरडन? हंड्रेड? बुक्स। मैं भी लिखती हूं। लेकिन आपने जो लिखा वो मुझे। सच में बहुत अच्छा लगा। हमारा और हमारे कलम का रिश्ता बहुत अटूट होता है। मतलब उनका जो राइटर्स होते हैं।
pk writer's
@Prakamya · 0:14
he hi prea a very good after noon to you and thank you for this review your review make my day happy so thank you so much for this review।