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Lankha dahan # kavitavali

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पानी, पानी, पानी सब रानी कुलानि कहें जाति है, पराने गति जाने चाली है। बस सारे मनि भूषन संभारत न आनन सुखाने कहें हूँ को पाली तुलसिमदोवमिजिहत धन मात कहे कहूँ कान कियो कहियो के तो काली है, बाबू रे विभूषण पुकार बार बार कहियों बानरुबड़ीबलाए घने घर घाली है।
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