मैं अहंकार कर बैठी!!
हाँ मैं अहंकार कर बैठी क्यों सोच बैठी इतने अफसाने क्यों इतना गुरूर कर बैठी काश की लालसा में आज को क्यों बुला बैठी क्यों इतना अहंकार कर बैठे जो है मेरे पास उसमें खुश रहना क्यों न सीख बैठी क्यों अपना अधिकार जता बैठी क्यों प्यार के बदले प्यार मांग बैठी क्यों पिछली बातों को याद कर बैठी क्यों अहंकार कर बैठे डायरी के पन्नों से क्यों इतने सवाल कर बैठी नीली सियाही से क्यों न आसमान रंग बैठी आईने पर क्यों न मुस्करा बैठी सुकून से क्यों न पलके झपका बैठी क्या मैं सच में अहंकार कर बैठी