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@Nehakesaath · 3:42
"Mein na hota toh kya hota" "Jai Shri Ram" "Jai Hanuman"
अशोक वाटिका में जिस समय रावण क्रोध में भरकर तलवार लेकर सीता मां को मारने के लिए दौड़ पड़ा तब हनुमान जी को लगा कि इसकी तलवार छीन कर इसका सिर काट लेना चाहिए किन्तु अगले ही क्षण? उन्होंने देखा मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया यह देखकर वे गदगद हो गए वे सोचने लगे यदि मैं आगे बढ़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता तो सीताजी को कौन बचाता? बहुदा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है मैं न होता तो क्या होता? परन्तु यह क्या हुआ? सीताजी को बचाने का कार्य?
Shilpy Saxena
@inspiring_soul · 0:47
तो? और स्टोरी सच में मैंने काफी टाइम बाद स्टोरी। मतलब ऐसे रामायण की सीता। और ये सब अभी काफी टाइम बाद सुनी है तो बहुत अच्छा लगा। सुन कर। थैंक यू स्टेपलेस।
Neelam Singh
@NEELAM · 0:41
सच में नेहा जी। मैंने ये आपकी स्टोरी सुनी बहुत अच्छी लगी। मेरा भी यही मानना है। पर कभी कभी हम इतना सब्र नहीं कर पाते कि हम सोच सकें कि हमारे साथ ये हो रहा है तो क्यों हो रहा है? और इससे हम जेल से निकलना भी चाहते हैं। लेकिन शायद यह सच है कि जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। और ईश्वर ने हमारे लिए कुछ बड़ा और अच्छा सोचा होता है। बस ईश्वर पर विश्वास हमेशा रखना चाहिए। हर हर महादेव। जय श्रीराम।