@Nehakesaath
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@Nehakesaath · 3:18

"आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!" "Ramdhari Singh Dinkar" #hindipoetry #kavita

article image placeholderUploaded by @Nehakesaath
हेलो? माई? लवली। स्वेल? फ्रेंड्स कैसे हैं? आप सब। बहुत। बहुत स्वागत है। 1 बार फिर से। आप सभी का। आपके। अल्फाज। मेरी आवाज में। नेहा के साथ दिल से बेहद। बेहद। शुक्रिया। आप सभी का बहुत खुशी मिलती है। जब आप सब इतना प्यार देते हैं। इतने अच्छे फीडबैक इन कमेंट्स देते हैं। एंड मेरे स्वेल को सुनते हैं। बहुत बहुत इंस्पायर होती हूं। मैं। और अच्छे कॉन्टेंट्स लेकर। आने के लिए। आप सभी के लिए। तो आज मैं आप सबके लिए।

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@challasrigouri
Challa Sri Gouri
@challasrigouri · 1:26
हाई नेहा आपने बहुत अच्छे टॉपिक को लेकर स्वेल किए हैं। और रामधारी सिंह दिनकर। इनकी कविताएं। इनकी रचनाएं। मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं पहली बार इनके बारे में। जब मैं दसवीं कक्षा में थी तब पढ़ी थी। हमारी हिंदी टेक्स्ट बुक में। 1 लेसन था। कडकड का अधिकारी। नाम से। उस लेसन। उस कविता का। राइटर। रामधारी सिह दिनकर। ता। और जब भी। मैं कविता वो कविता पढ़ती हूं न मुझे काम करने का या श्रम करने का मोटिवेशन मिलता है। और साथ साथ उस कविता में।
@Tarapushkar
Tara pushkar
@Tarapushkar · 0:24
he? neha thank you so much for under? ful? petri again? बहुत ही सुंदर कविता है ये रामधारी सिंह जी की। जब हम इनकी कविता सुनते हैं। is all about motivation? तो बहुत अच्छा लगता है। यह सब कविताएं। दुबारे से सुनना थैंक यू सो। मच? for? share? the sr? थैंक यू?
@The.mystic01
The mystic
@The.mystic01 · 3:06
हेलो नेहा बहुत अच्छा कविता पार्ट किया आपने और इतनी खूबसूरती से आपने महा कवि रामधारी सिंह दिनकर की इस कविता को रखा की सच में जिस प्रकार से इसमें स्वप्न की बात की है तो आपकी कविता पार्ट ने दिव्य स्वप्न का एहसास करा दिया उस दिव्य लोक में स्वप्न लोक में पहुंचा दिया कि सच में मंत्र मुक्त कर देने वाली कविता है ये मैं काफी पढ़ता रहा हूँ रामधारी सिंह दिनकर हूँ या मैं की शरण गुप्त हूँ या बहुत सारे महा कवि जिन्होंने हिंदी साहित्य को मतलब 1 तरीके से अमर योगदान दिया उन्होंने अपना इसमें और कुछ पुराने दिन और कुछ पुराने समय भी याद आ गया आपकी इस कविता को सुनकर के पहले पढ़ते थे कविताएँ पढ़ते थे किताबें पढ़ते थे चाहे वो मुंशी प्रेम चंद हो या मैतिशनगुप्तहो रामदारी सिंह हो तो अच्छा लगता था समय था लोगों के पास हम आपस में डिस्कस भी करते थे बातें भी करते थे उन सब चीजों के बारे में लेकिन अब उस समय कहीं खो गया है अब सब मोबाइल में बिजी है कोई इंस्टाग्राम चला रहा है फेसबुक ट्विटर या समथिंग वो थाउजंड माइल्स बैठे हुए लोगों से बात करके खुश है लेकिन जो पास में बैठा है उस इंसान का उसको एहसास भी नहीं पास में कोई बैठा हुआ भी है मेरे तो इन सब चीजों को देखकर थोड़ा सा दुख होता है और मुझे याद है कि रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता में लिखा था विज्ञान के बारे में लिखा था कि उन्हें पता था कि अगर विज्ञान इसी प्रकार ठीक करना अच्छी बात है बिक एडवांसमेंट किसी चीज में होता है तो उसके बहुत सारे फायदे भी होते है जैसे की अभी इन्टरनेट ने पूरी दुनिया को 1 कर दिया हम कहीं भी बैठकर किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल कर सकते है लेकिन किसी भी चीज का दुरुपयोग भी हो सकता है और होता भी है जैसे की आग अगर खाना पका सकती है तो वो नुकसान भी पहुंचा सकती है अगर पानी प्यास बुझा सकता है तो वो डुबा भी सकता है इंसान को नुकसान नुकसान भी पहुंचा सकता है तो इसी प्रकार रामधारी सिंह दिनकर की 1 कविता में उन्होंने कहा था कि हे मनुष्य यदि विज्ञान है तलवार तो इसे फेंक दे तज कर मोह स्मृति के बाहर काट लेगा देखी है बड़ी धार तो आज वो जब आपकी ये कविता सुन रहा था तो अनायास ही मुझे वो चीज याद आ गए कि हाँ ऐसा ही हो रहा है की कही जगह साइंस ने तरक्की तो की है टेकनोलॉजी ने तरक्की तो की है लेकिन उसके दुष्प्रभाव भी अब हमारे समाज पर और व्यक्तिगत रूप से भी दुष्प्रभाव हमें देखने को मिल रहे हैं इसी प्रकार आप नही स्वेlकास्ट इस प्रकार से लेकर आते रहिये और बिल्कुल हम इंतेजार करेंगे। आपके स्वेल कास्ट का उनको सुनने का एंड थैंक यू सो मच। once again nice थैंक यू।
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