Neelam Singh
@NEELAM · 2:20
उम्मीद के रंग (लघुकथा) #short-story
मैं आपको 1 छोटी सी कहानी सुनाती हूं उस छोटी सी कहानी में 1 बहुत बड़ी गहराई है आई नो आप उसे समझ जाएंगे मैं क्या कहना चाहती हूं तो कहानी कुछ ऐसे है 1 सासु मां अपनी पड़ोसन से अपने दिल की भड़ास निकाल रही थी सासु माँ कह रही थी अरे बहू कभी सास को मां मानती नहीं बहू कभी सास को माँ मान ही नहीं सकती पड़ोसन ये सब सुन रही थी वह कुछ समझदार थी तो उन्होंने सवाल किया तुम अपनी बहु को बेटी मानती हो क्या उन सासू मां को उम्मीद न थी इस पर वे तर्क की इस सवाल की कुछ सोचते हुए सासुमा बोली हाँ मैं तो मानती हूँ फिर परोसन बोली अच्छा बताओ इस समय आपकी बहू क्या कर रही है तो वह सासुमा बोलीं कि वह तो खाना बना रही है उस पर पडोसन ने दूसरा सवाल किया अच्छा सुबह आपको चाय दी थी किया तो सासु माँ ने कहा हाँ सुबह चाय दी थी मुझे तो उसके बाद पड़ोसन ने कहा हां सुनो सुनो तुम्हारी 1 बेटी भी है न उसके भी कॉलेज खत्म हो गए हैं वह क्या कर रही है इस समय तो सासु माँ ने इसका जवाब दिया कि वह तो सो रही है अच्छा जागी नहीं पड़ोसन ने कहा नहीं वह तो 10 बजे जगती है और जब बहू बेटी देती है उसे पीकर ही वह बिस्तर से उठती है इस पर वह पड़ोसन उनकी बात सुनकर मुस्करा दी और उनकी मुस्कुराहट देखकर सासु माँ आज भी समझ गई कि वह उनकी पड़ोसन उनसे क्या कहना चाहती है।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:17
यह बहुत ही अच्छी शॉर्ट स्टोरी थी। मम एंड स 1 उम्मीद ही तो है। जिसकी वजह से इंसान इस दुनिया में किसी भी तरह की प्रॉब्लम को या खुशी को या गम को होल्ड करने की शक्ति रखता है। तो यह बहुत ही प्यारी स्टोरी थी बहुत इंस्पीरेशनल थी।