नमस्कार मेरे सुयल साथियों आज मैं अपनी लिखी 2 प्यारी प्यारी कविताएं आपके लिए लेकर के आई हूं उम्मीद करती हूं आपको जरूर पसंद आएंगी भीड दुनिया की भीड़ में भी 1 तनहाई तो रह जाती है न दुनिया की भीड़ में 1 तनहाई तो रह जाती है ना जो कोई थाम ले मेरा हाथ यह कह जाती है ना बहुत अच्छा लगता है दोस्तों से बतियाना जन रिश्ते हैं जिनके साथ इधर की या दुनिया की बातें याद करके ठहाके लगाना पर जब हम दर्द में या तकलीफ में हों तो हमारी तकलीफ देख कर जो सो ना सके ऐसे किसी अपने की क*ी बेचैन कर जाती है न भीड़ में भी 1 तन्हाई रह जाती है ना सब कुछ होकर भी कुछ क*ी रह जाती है ना किसी अपने अपने खास को निगाहें ढूंढती रह जाती है ना जिसको हो हमारी खुशी की परवाह जिसको जिसको हो हमारी पसंद का ख्याल ऐसे किसी साय की चाहत बेचैन कर जाती है न दुनिया की भीड़ में भी 1 तनहाई तो रह जाती है न और दूसरी है किस्मत कहती है मैंने तुम्हें मिला दिया जिनसे तुम्हें मिलाना था मैंने तुम्हें मिला दिया जिनसे तुम्हें मिलाना था आगे की जिम्मेदारी तुम्हारी है कैसे तुम्हें मिलकर रिश्ता निभाना है सिर्फ अपने बारे में सोचोगे तो तुम्हारी मर्जी है पर सच्चे रिश्तों में न चलती खुदगर्जी है पर सच्चे रिश्तों में न चलती खुदगर्जी है प्रेम से है प्रेम का बंधन मजबूत होता आदर और सम्मान 2 दिलों में हो तो तभी तो है रिश्ता संपूर्ण होता।