नमस्कार दोस्तों दोस्तों मैं सुधीर सनवाल 1 स्टोरी राइटर हूँ और स्टोरी टेलर भी हूँ हाल ही में मैंने 1 शॉर्ट स्टोरीज की पुस्तक प्रकाशित की थी हिंदी में जिसका शीर्षक है मन के मन के तो जो कुछ भी मन में आता है कागज पर उतार देता हूँ स्वेल के लिए मैं नया हूँ और इस प्लेटफार्म पर ये मेरी पहली कहानी है माँ का जन्म दिन कहानी जिस तरह से लिखी है मैं उसी तरीके से सुना रहा हूँ शार्ट स्टोरी है छोटी सी कहानी है आज सुबह से ही घर में चहल पहल हो रही थी कहीं लड्डुओं से भरे डब्बे रखे थे तो कई नए कपड़ों की थैलियां माँ का कमरा गुलाब के फूलों से महक रहा था अरे आज माँ का जन्मदिन जो था घर में जब भी किसी का जन्मदिन होता था तो माँ स्वयं पारंपरिक पकवान बना कर ईश्वर की पूजा अर्चना किया करती थी और कहा करती थी की पहले ईश्वर को भोगरपणकरोउसका धन्यवाद करो कि उसने हमें स्वस्थ और सुरक्षित रखा खुशी मनाने की सामर्थ प्रदान करी और फिर शाम को जैसे चाहो वैसे जन्मदिन मनाओ बच्चों के लिए तो जन्मदिन गाने बजाने और दावतें करने का 1 उत्साहपूर्ण बहाना होता है और इस प्रकार के आयोजनों की उन्हें हर समय प्रतीक्षा रहती है तो इसी बात के चलते मेरे बच्चों ने यह परम्परा आरंभ कर दी कि छोटे बड़े हर सदस्य का जन्मदिन मनाया जायेगा उसी श्रंखला में वह अम्मा यानि कि उनकी दादी का जन्मदिन भी मनाने लगे माँ यह कहकर हँसती थी कि उनके समय में जन्मदिन मनाना तो दूर किसी को याद भी नहीं रहता था जन्म दिन के बारे में लेकिन बच्चों के मनोभावों का पूर्ण सम्मान करते हुए वह जैसा बच्चे कहते वैसा ही कर दिया करती थी अब आज सुबह जब कैलेंडर पर नज़र गई तो देखा की बच्चों ने माँ के जन्मदिन की तिथि को यानि अपनी दादी के जन्मदिन की तिथि को विशेष रूप से सजा रखा था चहल पहल के बीच पंडित जी हवन की तैयारी में लगे थे और मुझे विशेष रूप से हवन में बैठना था कॉलोनी के पार्क में भोज का आयोजन था और कुछ रिश्तेदार और बाकी लोग उसकी तैयारियों का जायजा ले रहे थे दुरस्त रिश्तेदार अपने अपने समय से हमारे घर पहुँचते जा रहे थे आज माँ के जन्मदिन का आयोजन गत वर्षों की तुलना में कहीं अधिक बड़ा और भव्य हो रहा था हवन के उपरांत भोज के लिए ब्राह्मणों के आसन लगा दिए गए दान के लिए अलग अलग पैकेट तैयार हो गए सब कुछ जैसे बड़े ही व्यवस्थित रूप से 1 अनुक्रम में होता चला जा रहा था न जाने यह प्रभु की लीला थी माँ का आशीर्वाद था या फिर मात्र 1 संयोग की आज माँ के लिए 1 से बढ़कर 1 भव्य आयोजन हो रहे थे सुबह से माँ का कमरा जिन गुलाब के फूलों से महक रहा था वह 1 बड़ी सी परात में माँ के चित्र के समीप रखे थे ऐसा लग रहा था कि माँ अपनी तस्वीर से ही सब कुछ चुपचाप देख रही है जो भी हो दिन तो आज विशेष ही था आज मां के जन्मदिन के साथ साथ माँ की तेरहवीं भी थी