तात्पर्य यह है कि अपने वचन को बहुत ध्यान से और सोच समझ कर। बोले नहीं मालूम कि वो 1 शब्द जो आपके मुख से निकलेगा वो आपके सामने के इंसान को कैसा प्रतीत होगा कैसा महसूस करा सकता है विचार कीजिएगा चिंतन कीजियेगा बदन कीजिएगा राधेराधे
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:29
बहुत बहुत धन्यवाद। मनीष इस सुविचार के लिए। आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं कि हमें सोचना चाहिए कि हम क्या बोल रहे हैं कैसे बोल रहे हैं कि सामने वाला जो है उसे हम दुख न दे कोई अपने शब्दों से अपने व्यवहार से थैंक यू। so much have a lovely rican
न? जी? जय। माता दी। आपने बहुत महत्वपूर्ण बात कही है? और मुझे ऐसा लगता है कि कई बार लोग बहुत कुछ कह देते हैं और बहुत कुछ बोल देते हैं। जिनसे उनकी छवि खराब हो जाती है। हम उन्हें बहुत ऊंचा दर्जा दे देते हैं? अपनी जिंदगी में। लेकिन फिर वो ऐसा दुष व्यवहार करते हैं, दुर्व्यवहार करते हैं कि उनका स्तर हमारी नजरों में इतना नीचे गिर जाता है कि फिर वो कभी उठ नहीं पाते हैं। तो बहुत अच्छा लगा। आपका ये सुविचार बस। ऐसे सुनाते रहिये जयमाता।