हमें खुद का भी जोर लगाना चाहिए कि हमारे अनुभव के हिसाब से हमें क्या प्राप्त हो सकता है? कभी कभी होता है न? कि। हम कहते हैं कि जब जो लिखा होगा तब वो मिल जाएगा? लेकिन नहीं। हमें अपना पूरा जोर लगाना चाहिए कि हमारी अनुभव हमारे कुशलता के हिसाब से हमें क्या मिल सकता है? अगर हम सब कुछ भाग्य के भरोसे ही छोड़ देंगे तो फिर हम शिथिल हो जाएंगे। और हमारी जिंदगी शिथिल हो जाएगी। और हम वहीं रह जाएंगे? वहीं रुक जाएंगे। हम 2 कर्म कीजिए और भाग्य को पीछे छोडिए विचार कीजिएगा। और बताइएगा राधे राधे।
Himanshi Thakur
@GreyMatter · 2:06
बहुत बहुत धन्यवाद। आपका। मनीष? क्या? आपने? मुझे इतनी सुंदर बात के लिए आमंत्रित किया? और आपने इतनी अच्छी बात कही? हर बात तो सही है कि कर्म के बिना कुछ नहीं मिलता? और निष्काम कर्म। 1 ऐसी चीज है जिससे मैं भी बहुत ज्यादा बैटल करती हूं। क्योंकि हर व्यक्ति चाहता है कि आप जो कर्म कर रहे हैं उसका फल आपको किसी न किसी रूप में मिल जाए। पर हर बार जिस प्रकार का फल हमें मिलता है। हमें वो उचित नहीं लगता? हमें वो माने नहीं लगता। हमें अपने तरीके का फल चाहिए होता है?