जnvरीsरदsamme किसी गजल के मिसरे sukटaहniकotोl बेर हवाले सकता हूँ गरमा सकता हूँ ठंड से पढ़ गए सुन्न दिल के हाथ ये जजबातों नीले नाखून और जरा जल उठे पुरानी गजल कहीं तो हासिल कर लेकिन कमबख्त याद में बड़ी शिद्दत से सींच कर बाली गजलें काट कर जलाई भी तो नहीं जाती काटकर जलाई भी तो नहीं जाती मुझसे याद के जाड़े में लाख सूख जाएं तोड़ कर भलाई भी तो नहीं जाती मुझसे काश ऐसा हो सकता इनके तमाम सूखे पत्तों का इंधन लाकर मैं यह अमावस की रात को मैं इस अमावस की रात को 1 चांद तोहफे में दे सकता और इस उधार की रोशनी पर चल कर और इस उधार की रौशनी चल कर तुम तक पहुँच सकता वहाँ वहाँ उस जहाँ में जहाँ तुम 1 तारा बनी जगमगा रही हो जहाँ तुम 1 तारा बनी कब से जल्द मगा रही हो जनवरी की सर्द शाम में किसी फसल के मिसरे की सूखी टहनी को तोड़कर बेल होम की आग के हवाले कर सकता हूँ मैं।

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