कागज़ के दो पंख ले के उड़ा चला जाए रे जहाँ नहीं जाना था ये वहीं चला हाय रे उमर का ये ताना-बाना समझ न पाए रे ज़ुबाँ पे जो मोह-माया नमक लगाये रे के देखे ना, भाले ना, जाने ना, दाये रे दिशा हारा
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