Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 2:57
स्त्री और पुरुष
स्त्री की भांति? असंख्य, रिश्ते। जैसे बेटा, भाई, पिता, व पति। बनकर। निभाता है। पुरुष। जिम्मेदारी से मुख ना मोड़ना, यह अपनी पहचान बनाता है। पुरुष। पर। स्त भी किसी से कम न की जाती है। लेकिन साथ पुरुष का भी चाहिए। और पुरुष को स्त्री का साथ भी चाहिए। दोनों के सहयोग से। मिलकर ही जीवन चलता है। परस्पर? या? यूं? कहिए? स्त्री के बिना पुरुष संभव नहीं? और पुरुष के बिना स्त्री की कल्पना?
Avyagra Pratap Singh
@Avyagra · 1:09
तो ये तो सृष्टि के आरंभ से ही चला आ रहा है इस फोटो और प्रकृति 1 दूसरे के पूरक न हो? तो सृष्टि के संचालन में बाधा आ जाएगी। तो पुरुष और प्रकृति को स्वयं सामान्य अधिकार दिए हैं? क्योंकि ये दोनों ही उनके ही अंग हैं। और आपकी पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी। तो उम्मीद है ऐसे ही और स्वयं आपके माध्यम से सुनने को मिलते रहेंगे। आपका दिन। बहुत शुभ। धन्यवाद।
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:47
हेलो हिमा? मे साबी बोल रही हूँ। का सेल। सुना। बेहद ही खूबसूरत कविता थी। आपकी। जिसका टाइटल आपने रखा है। स्त्री। और पुरुष। बैग्राउंड। मोसेस के लिए। माफ़ी चाहती हूँ। आपसे। जैसा कि आपने कहा कि 1 स्त्री की कल्पना पुरुष के बिना अधूरी है? और पुरुष की भी कल्पना स्त्री के बिना अधूरी है। बहुत ही अच्छे तरीके से। आपने ये बताया कि कैसे स्त्रियाँ इमोशंस को अपने आंसुओं के सहारे बहा देती हैं? पर वहीं पुरुष अपने इमोशंस को दिल में दबा के रखते हैं। बहुत ही खूबसूरत कविता थी। आपकी।
Uchi. Uchita Galaiya
@Feather · 0:17
नमस्कार? हेमाजी में फेदर? मैंने। आपका स्पेल अभी सुना। जिसका शीर्षक आपने रखा? स्त्री। और पुरुष बिल्कुल। सही। कहा आपने दोनों 1 समान होते हैं। और आपका ये स्पेल मुझे काफी अच्छा लगा। और आपकी आवाज भी। मुझे। काफी अच्छी लगी। और थैंक यू वेरी मच।