हेलो? एवरीवन? मैं? हिमा। सिन्हा। आज में सेल पोस्ट में अपना 1 विषय लेकर आई हूँ। जिसका शीर्षक है घूंगट। आज। मैं इसके ऊपर कुछ चर्चा करना चाहती हूँ कि आज भी हमारे देश में कुछ कई जगह ऐसी रह गई हैं। जहां घूंघट की प्रथा अभी भी चली आ रही है। और वो घर की औरतों के लिए जरूरी समझा जाता है। पर खास करके घर की बहुओं। पर। नई नवेली। दुल्हन। जब घर आती है। घूंघट में चेहरा छुपाए रहती है। यह कैसी प्रथा निराली है?
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:31
हेलो? हिमामलसावी? बोल रही हूँ। मैंने। अभी। आपका। स्वर सुना। बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है। आपने। और आपने। जो शीर्षक दिया है। घुंगट। बहुत ही खूबसूरत शीर्षक है। आपका। और जैसा कि आपने कहा कि बहु बेटी को 1 कहा जाता है। पर जब घूंघट की बात आती है तो बहु ही आगे आती है। बिल्कुल सही कहा आपने। और उसी चीज को आपने। अपनी कविता के माध्यम से। बहुत अच्छे तरीके से हमें सुनाया। मुझे। आपकी कविता बहुत बहुत पसंद आई। ऐसे ही लिखते रहिये और हमें सुनाते रहिये।
Uchi. Uchita Galaiya
@Feather · 1:15
नमस्कार? हेमा? जी? और मैं फेदर। आपका। स्वर। मैंने। आज सुना काफी अच्छा विषय है। और काफी अच्छा शीर्षक है। और सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहूंगी कि बिल्कुल सही कहा आपने? कि? कैसी प्रथा? यह निराली है? जहां पर किसी भी वस्तु किसी भी चीज? किसी भी रस्म के लिए हमें घूंघट रखना पड़ता है? और क्यों? ये ऐसा है? शायद इसका जवाब आज भी किसी के पास नहीं है। या शायद सालों से चली आ रही प्रथा को लोग आज भी इसी प्रकार अंधविश्वास से मानते हैं।