और कहाँ कहाँ तेरी मोहब्बत का जिक्र करूँ? वैसे तुम्हारी मुहब्बत? किसे जिक्र? के काबिल? नहीं? तूने अपने हमदर्द ढूंढ लिए? अब तुम मेरे फिक्र के काबिल? नहीं? पर जब भी आँखों को बंद करता हूँ तो मैं पाता हूँ? जे तो बता? तुम्हें बुलाऊँ कैसे? ये तो बता? तुम्हें बुलाऊँ कैसे? और कोशिश करता हूँ? पर तेरे ख्याल मुझे पकड़ लेते हैं? ये तो? बता? दूर जाऊँ? कैसे? और प्यार तो था। अब जब भी मिलती है आँखें भर कर मिलती है?