बताओ तो अगर है? मेरी खता समझाओ? तो बोला? तुम से जुड़ा कुछ नहीं है। बस किसी से भी कुछ कहने का मन नहीं है। कुछ तरार सी आ गई। तभी सपनों में। एहसास हुआ तभी। हमे उतनी भी खास नहीं थे। हम। जितना गुमान था हमें।
हेलो? आपकी शायरी। मुझे बहुत अच्छी लगी है। और इसमें बहुत इट हैज। रियली डीप मीनिंग। तो जो भी इसे सुनेगा, इसे लगेगा कि इस शायरी में इमोशंस जुड़े हुए हैं, दुख जुड़े हुए हैं। और दर्द जुड़ी हुई है। और सच में आपकी शायरी दिल को छू रही है। थैंक यू।