to कुछ इस तरह है परवीन शाकिर है उनकी गजल है जो मैं पढ़ रही हूं कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी दिल को खुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी बात वो आधी रात की रात वह पूरे चांद की चांद भी एन चैत का उसपे तेरा जमाल भी सबसे नजर बचा के वो मुझको कुछ ऐसे देखता 1 दफा तो रुक गई गर्दी से मां हुसाल भी उसको न पा सके थे जब दिल का अजीब हाल था उसको ना पा सके थे जब दिल का अजीब हाल था अब जो पलट के देखिए बात थी कुछ मुहाल भी मेरी तरफ था 1 शख्स वो जो नहीं मिला तो फिर हाथ 2 युवा से यूं गिरा भूल गया सवाल भी उसकी सुखनतराजियाँ मेरे लिए भी ढाल थी उसकी हसी में छुप गया अपने गम काल भी उसके ही बाजुओं में और उसको ही सोच बचते रहे ज**** की ख्वाहिशों पर थे रुके और जल भी शाम की नासमझ हवा पूछ रही है 1 पता मौजे हवाएं कुए यार कुछ तो मेरा ख्याल भी शुक्रिया।
आपके शायरी को सुनने के bad me do mint strict bate re because i was speaking at all in and i think you have such an amazing voice, a beautiful voice and absolutely love you adiction और जिस तरह से आपने डिसाइड किया autel of this will right now obviously and thank you so much for sharing such a beautiful poem with us because i mean it just it dutch a cold so yah।
Bloomy Shayara
@bloomyshayara · 0:20
thank you so much it means a lot to me ma आपको बता sakte मुझे कितनी खुशी hote जान a la s mt thank you।